चंदौली। प्राथमिक विद्यालय बेवदां में नियुक्त प्रधानाध्यापक अखिलेश सिंह के इंट भट्टा चलाने और उनके स्थान पर रनपुर गाँव निवासी किसान गंगासिंह के बच्चों को पढ़ाने के मामले की जांच करने बुधवार को डीआई लालमणि राम विद्यालय पहुंचे। जहां प्रधानाध्यापक अखिलेशसिंह पिछले दो दिन से अनुपस्थित पाए गए। उपस्थिति रजिस्टर में उनके नाम के सम्मुख स्थान खाली देख डीआईने उक्त पन्ने की फोटोग्राफी किया और मानव सम्पदा पोर्टल पर ऑनलाइन अनुपस्थिति दर्ज कर रिपोर्ट बीएसए को प्रेषित कर दिया।आरोप है कि उक्त विद्यालय में नियुक्त प्रधानाध्यापक अखिलेशसिंह वर्षों से ईट भट्टा चला रहे हैं। उनके स्थान पर रनपुर गांव निवासी किसान गंगा सिंह बच्चों को पढ़ा रहे हैं। यह फर्जीवाड़ा आज नया नहीं हो रहा है। अलबत्ता यह खेल शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों के संरक्षण में पिछले छह वर्षों से लगातार हो रहा है। हालांकि विद्यालय के अन्य सहायक अध्यापक विरोध का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। प्राथमिक विद्यालय में 54 बालक व 49 बालिकाओं सहित कुल 103 बच्चे पंजीकृत हैं। जिनमें कक्षा 1 में 13,कक्षा 2 में 15, कक्षा 3में 26, कक्षा 4 में 23 और कक्षा 5 में 26 छात्र-छात्राओं के नाम शामिल हैं.

इन बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रधानाध्यापक अखिलेश सिंह उर्फ कुद्दन, सहायक अध्यापक वीरेंद्र कुमार यादव, राकेश कुमार भारती, राजू मौर्य व शिक्षामित्र कुंज बिहारी सिंह नियुक्त हैं। किन्तु यहां शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का आलम यह है कि प्रधानाध्यापक कभी स्कूल नहीं आते हैं। उनके स्थान पर रनपुर गांव के गंगा सिंह बच्चों को पढ़ाते हैं।इसकी वजह पूछने पर शिक्षकों ने बताया कि गंगा सिंह के खुद के बच्चे यहीं पर पढ़ते हैं।इस वजह से वे उन्हें नित्य यहां पहुंचाने आते हैं। और बच्चों को पढ़ा भी देते हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि बीते 24 अगस्त 2024 को जब बीईओ अवधेश नारायणसिंह ने स्कूल का निरीक्षण किया। तब भी गंगा सिंह बच्चों को पढ़ा रहे थे। किंतु उन्हें उनका संरक्षण होने के कारण वे उनपर कोई कारवाई करने के बजाय मौन साधे हुए हैं।उधर ग्रामीणों का कहना है बेवदां प्राथमिक विद्यालय में नियुक्त प्रधानाध्यापक अखिलेशसिंह का इंट भट्टा चलता है, और उनके नाम पर रनपुर गांव के गंगा सिंह बच्चों को पढ़ाते हैं। इसके एवज में उन्हें निश्चित पगार मिलता है। वैसे भी यह खेल वर्षों पहले से चल रहा है। शिक्षा विभागके अधिकारी सब जानते हैं। इस संदर्भ में जब शिक्षा विभाग के अफसरोंका पक्ष जानने के लिए बीईओ अवधेश नारायण सिंह से संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
खबर छपी तो हेडमास्टर को मिल गई ऑफिस
चंदौली। कम्पोजिट विद्यालय विरना में प्रधानाध्यापक कमलेश सिंह यादव की ऑफिस जर्जर भवन में चल रही थी। जबकि बीईओ के एकशा गिर्द द्वारा प्रधानाध्यापक के लिए बनी ऑफिस का निजी उपयोग किया जा रहा था। इसको लेकर अखबार में खबर क्या छपी। एक झटके में ही प्रधानाध्यापक को लग्जरी ऑफिस मिल गई.