आजकल शहरों में ज्यादातर लोग खाना बनाने के लिये या तो रिफाइन्ड ऑयल का इस्तेमाल करते हैं या ऑलिव ऑयल का और वहीं गाँव में लोग खाना बनाने में सरसों का तेल, देसी घी का इस्तेमाल करते हैं, इसी वजह से शहर के लोग खुद को मॉर्डन समझते हैं और गाँव वालों को गंवार लेकिन मैं आपको बतादूँ रिफाइन्ड ऑयल, ऑलिव ऑयल इस्तेमाल करने के बहुत नुकसान हैं।
रिफाइन्ड तेल इस्तेमाल करने के नुकसान –
• रिफाइन्ड तेल को बनाने के लिये शुद्ध तेल को बहुत अधिक तापमान पर गर्म किया जाता है और बहुत सारे हानिकारक केमिकल्स मिलाये जाते हैं जिससे उसमें तेल का प्रोटीन और जरूरी फैटी एसिड निकल जाते हैं और वो सिर्फ जहर वाला पानी बचता है, रिफाइन्ड ऑयल में शुद्ध तेल का चिपचिपापन और गंध हटा दी जाती है जबकि आपको बतादूँ कि शुद्ध तेल में जो गंध होती है वो तेल के प्रोटीन के कारण होती है और चिपचिपाचन फैटी एसिड्स के कारण होता है और जब शुद्ध तेल को बहुत हाई टेम्प्रेचर पर गर्म किया जाता है तो ये ट्रांसफैट में बदल जाता है और इसी वजह से रिफाइन्ड तेल खाने से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है और ये कोलेस्ट्रॉल दिल की नलियों में जमने लगता है और दिल को शरीर में खून भेजने में दिक्कत होने लगती है और जब नलियों में ब्लॉकेज बहुत ज्यादा बढ़ जाता है तो यहीं हार्टअटैक बनता है क्योंकि उसमें कुछ नलियां पूरी तरह से बन्द हो जाती हैं और इसी ब्लॉकेज से ब्रेन स्ट्रोक भी होता है क्योंकि ब्लॉकेज बढ़ने से दिल व दिमाग की नलियों के बीच खून की सप्लाई कम होने लगती है जिससे ब्रेन डैमेज हो सकता है या पैरालिसिस हो सकता है इसके अलावा रिफाइन्ड तेल खाने से घुटनों में, कमर में, जोड़ों में दर्द होने लगता है क्योंकि रिफाइन्ड तेल में तेल के फैटी एसिड खत्म हो जाते हैं और फैटी एसिड्स जोड़ों के लिये बहुत जरूरी होते हैं, इसके अलावा रिफाइन्ड ऑयल खाने से लीवर के रोग हो जाते हैं, इसके अलावा रिफाइन्ड तेलखाने से त्वचा में ड्राईनेस, झुर्रियाँ बढ़ जाती हैं, उम्र बढ़ने की रफ्तार भी बढ़ जाती है क्योंकि रिफाइन्ड तेल में चिकनाई निकाल दी जाती है जो आपकी स्किन का ग्लो बनाये रखने के लिये जरूरी होती है, इसके अलावा रिफाइन्ड तेल में मिलाये जाने वाले तत्व कैंसर कर सकते हैं, इसके अलावा रिफाइन्ड तेल में तेल के पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और आपको बतादूँ दालों के बाद सबसे ज्यादा किसी चीज में प्रोटीन होता है तो वो होता है तेल में और रिफाइन्ड तेल में तेल का प्रोटीन नष्ट हो जाता है, रिफाइन्ड तेल खाने से दिमाग भी काफी कमजोर हो जाता है, याददाश्त कमजोर हो जाती है और भी दिमाग से सम्बन्धित रोग होने की आशंका बढ़ जाती है।
जहाँ रिफाइन्ड तेल खाने के इतने सारे नुकसान हैं वहीं सरसों का तेल खाने के बहुत फायदे हैं –
• सरसों का तेल खाने से दिल की नलियों में कोलेस्ट्रॉल नहीं जम पाता है क्योंकि ये कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रखता है, ये बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है आपको बतादूँ कोलेस्ट्रॉल दो तरह का होता है अच्छा व बुरा और कोलेस्ट्रॉल मोम जैसा पदार्थ होता है, खून में पाये जाने वाले फैट को ही कोलेस्ट्रॉल कहते हैं, कोलेस्ट्रॉल लीवर द्वारा पैदा होता है, कोशिका को जीवित रखने के लिये कोलेस्ट्रॉल जरूरी होता है, ये सूरज की किरणों को विटामिन डी में बदलता है, हार्मोन्स का निर्माण करता है और गुड कोलेस्ट्रॉल दिल की बीमारियों को दूर रखने और बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करने का काम करता है जबकि बैड कोलेस्ट्रॉल दिल की नलियों में जम जाता है, और सरसों का तेल खाने से दिल के रोगों का खतरा बहुत कम हो जाता है, हार्टअटैक की संभावना बहुत कम हो जाती है लगभग न के बराबर।
• सरसों का तेल खाने से गला और श्वसन तंत्र मजबूत होता है क्योंकि सरसों का तेल खाने से वहाँ कोई बैक्टीरिया नहीं रह पाता है क्योंकि सरसों का तेल एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और एन्टीइनफ्लामेट्री होता है।सरसों का तेल खाने से कफ, सीने में दर्द, सर्दी, जुकाम, खाँसी, गले मेंखराश जैसी समस्यायें ठीक हो जाती हैं।सरसों का तेल इम्यूनिटी को बढ़ाता है।
• सरसों का तेल कैंसर जैसी बीमारी होने की संभावना कम कर देता है क्योंकि ये कैंसर सेल्स के विकास को रोकता है।
• सरसों का तेल मेटाबॉलिस्म को बढ़ाता है जिससे पतले इंसान का वजन बढ़ता है और मोटे इंसान का वजन कम होता है।
• सरसों का तेल खाने से अस्थमा की बीमारी नहीं होती है।
• सरसों का तेल दिमाग की कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
• सरसों का तेल पाचन शक्ति को मजबूत करता है और हमारे खाने को पचाने में मदद करता है।
• सरसों का तेल, बड़ी आंत, छोटी आंत, पेट, लीवर में संक्रमण दूर करने में सहायक होता है।
• सरसों का तेल भूख को बढ़ाने में कारगर सिद्ध होता है।
देसी घी खाने के फायदे –
• देसी घी खाने से दिल स्वस्थ रहता है और देसी घी खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है जिससे दिल की नलियों में ब्लॉकेज नहीं होता है।
• देसी घी खाने से हड्डियां मजबूत होती हैं।
• देसी घी खाने से त्वचा चमकदार व मुलायम बनती है।
• देसी घी खाने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है।देसी घी खाने से पाचन अच्छा होता है और गैस, कब्ज, एसिडिटी की बीमारी नहीं होती है।
• देसी घी खाने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।
• देसी घी पोषक तत्वों से भरा होता है जो कि लम्बे समय तक जवान बनाये रखता है।
• देसी घी खाने से कैंसर होने की संभावना कम हो जाती है।
• देसी घी खाने से मांसपेशियां मजबूत होती है, घी थकान व कमजोरीदूर करता है।
• देसी घी खाने से हार्मोन्स संतुलित रहते हैं।
• देसी घी में ओमेगा-3 फैटी एसिड पर्याप्त मात्रा में होता है।
• देसी घी शरीर का वजन कम करने में भी सहायक होता है, घी में पाया जाने वाला सैचुरेट फैट शरीर में जमा जिद्दी फैट को घटाने में मदद करता है, इसके अलावा घी खाने से मेटाबॉलिज्म तेज होता है जिससे आप जो भी खाते हैं वो अच्छे से पचता है और मोटापा नहीं बढ़ता है।
• देसी घी खाने से ब्लडप्रेशर कंट्रोल में रहता है।
• देसी घी आँखों में दबाव को कम करता है, मोतियाबिन्द की संभावनाओं को कम करता है।
ऑलिव ऑयल के नुकसान –
• ऑलिव ऑयल का स्मोकिंग प्वाइंट बहुत कम होता है मतलब अगर आप ऑलिव ऑयल को तेज आंच पर गर्म करोगे तो उसमें फ्री रेडिकल्स बनने शुरू हो जायेंगे और फ्री रेडिकल्स कैंसर जैसी बीमारियाँ पैदा करते हैं, सीधी भाषा में बोलूं तो ऑलिव ऑयल को ज्यादा गर्म कर दो तो वो बेकार हो जाता है किसी काम का नहीं रहता है वहीं देसी घी और सरसों के तेल का स्मोकिंग प्वाइंट बहुत ज्यादा होता है मतलब वो दोनों तेज आंच पर गर्म करने पर भी खराब नहीं होते हैं और आप जानते हैं भारत में खाना बनाने के लिये तेल को तेज आंच पर गर्म किया जाता है इसलिये हमारे लिये ऑलिव ऑयल बेकार है, सलाद वगैरा में डालने के लिये ये ठीक है या उन चीजों में डालने के लिये जिनमें तेल को ज्यादा गर्म करने की जरूरत नहीं पड़ती है, और ऑलिव ऑयल एक तो देसी घी और सरसों के तेल के मुकाबले बहुत महंगा होता है दूसरा भारत में ऑलिव ऑयल शुद्ध मिलना बहुत कठिन होता है क्योंकि ये विदेशों से आता है तो मिलावट काफी होती है जबकि सरसों का तेल शुद्ध आप सीधे चक्की से पिरवा सकते हैं और देसी घी घर में निकाल सकते हैं, आपको बतादूँ ज्यादातर बिकने वाले ऑलिव ऑयल में राइस ब्रान ऑयल मिला होता है और एक चीज और बताना चाहता हूँ सरसों के तेल को आप हेयर ऑयल के रूप में लगा सकते है बॉडीलोशन के रूप में शरीर में लगा सकते हैं, क्रीम के रूप में चेहरे में लगा सकते हैं, चोट लग जाये तो एन्टीसेप्टिक क्रीम की तरह लगा सकते हैं, शरीर में मसाज कर सकते हैं जबकि रिफाइन्ड ऑयल को खाने के अलावा और किसी भी तरह इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं, तभी आपने देखा होगा शहर के लोगों को दिल की समस्यायें जैसे हार्ट अटैक वगैरा बहुत होती हैं लेकिन गाँव के लोगों को दिल से जुड़ी कोई बीमारी नहीं होती है बड़ी उम्र तक भी जबकि शहर के लोगों में कम उम्र में ही दिल से जुड़ी समस्यायें होने लगती हैं।