आजकल शहरों में सभी घरों में फल, सब्जियाँ, दूध, बचा हुआ खाना रखने के लिये, ठंडे पानी के लिये या और भी कई चीजें रखने के लिये फ्रिज का इस्तेमाल करते हैं और वहीं गाँव के लोग फ्रिज का इस्तेमाल नहीं करते हैं वो लोग रोज ताजी सब्जियाँ, फल लाकर उसे खाना पसंद करते हैं. वो ठंडे पानी के लिये गर्मियों में घड़े का इस्तेमाल करते हैं और खाना भी दोनो समय ताजा ही खाना पसंद करते हैं, बचे हुये खाने को गाय, भैंस को खिला देते हैं लेकिन खुद नहीं खाते हैं न सुबह का शाम को न शाम को अगली सुबह और घर में दूध भी दोनों समय ताजा ही पीते हैं, इसी वजह से शहर के लोग खुद को मॉर्डन समझते हैं और गाँव वालों को गंवार लेकिन मैं आपको बता दूँ फ्रिज का इस्तेमाल करने के बहुत सारे नुकसान हैं।
•फ्रिज में तापमान कम करके फ्रिज को ठंडा रखने के लिये सी०एफ०सी० यानि क्लोरो-फ्लोरो कार्बन नाम की 12 तरह की गैसों का इस्तेमाल किया जाता है जो क्लोरीन, फ्लोरीन और कार्बन से बनी होती हैं, उनमें से तीन प्रमुख गैसें क्लोरीन, फ्लोरीन और कार्बनडाइ ऑक्साइड होती हैं और ये तीनों बहुत जहरीली होती हैं और इन तीन के अलावा और जो नौ गैसें होती हैं वो भी जहरीली होती हैं, इस तरह से 12 जहरीली गैसें हमारे फल, सब्जियों, दूध, पानी में मिल जाती हैं और हमे धीरे-धीरे बीमार करती हैं क्योंकि ये सब गैसें धीमा जहर होती हैं।
• फ्रिज में फल, सब्जियाँ रखने से उनमे पौष्टिकता कम हो जाती है और उनमे वो स्वाद नहीं रहता जो ताजी सब्जी और फलों में होता है और कई फल सब्जियां फ्रिज में रखने से खराब हो जाते हैं जैसे – सेब, केला, अँगूर, चीकू आदि, तरबूज-खरबूज को काटकर फ्रिज में रखने से उनमे मौजूद एन्टीऑक्सीडेंट नष्ट हो जाते हैं व प्राकृतिक शुगर भी नष्ट हो जाती है, केला, आम, सेब, चीकू जैसे फल फ्रिज में रखने से उनमे मौजूद एन्टीआक्सीडेन्ट घटने लगते हैं।
• फ्रिज में रखने से फल-सब्जियों की नमी चली जाती है, संतरा और नीबू में सिट्रिक एसिड होता है जिस कारण ये फ्रिज की ठंडक सहन नहीं कर पाते हैं और धीरे-धीरे इनका रस, छिलका सूखने लगता है,चीकू को फ्रिज में रखने से वो पिलपिला होने लगता है और खराब होने लगता है, लीची को फ्रिज में रखने से ये खराब हो सकती है, टमाटर फ्रिज में रखने से जल्दी गल जाते हैं, सेब को फ्रिज में रखने से वो जल्दी पक जाता है, मतलब पौष्टिकता और स्वाद के साथ साथ फल-सब्जियों की हालत भी बदल जाती है ताजे जैसी नहीं रहती है, इसी वजह से खाने में भी वो चीज अलग से समझ आती है इसलिये मन से वो चीज नहीं खाते।
• खाना बनने के दो घण्टे बाद उसमें बैक्टीरिया पनपना शुरू हो जाते हैं तो उसे फ्रिज में रखने से कोई खास फायदा नहीं होता है, उसे खाने से पाचन सम्बन्धी दिक्कतें होने लगती हैं, पोषक तत्व भी कम हो जाते हैं व स्वाद भी वो नहीं रहता जो ताजे बने खाने में रहता है।
•फ्रिज में कच्ची व पकी सब्जियां रखने से फ्रिज में बैक्टीरिया बढ़ने की सम्भावना होती है।• फ्रिज का ठण्डा पानी पीने से गला खराब, जुकाम, खाँसी, कब्ज जैसी दिक्कतें हो जाती हैं, इसके अलावा उससे मोटापा बढ़ता है, इम्यूनिटी कम होती है, दिल के धड़कने की गति कम होती है, घुटनों पैरों में दर्द होने लगता है, सिरदर्द होने लगता है और न तो उस पानी से प्यास बुझती है न ठंडक मिलती है।
• फ्रिज में दूध रखने के बाद वो पंछीला हो जाता है मतलब उसमें पानी का स्वाद ज्यादा आता है उसमे वो स्वाद नहीं रहता जो ताजे दूध मे रहता है।
• फ्रिज मे दही रखने से उसमें मौजूद पोषक तत्व नष्ट होने लगते हैं क्योंकि फ्रिज में रखने से उसमें मौजूद लैक्टोबेसिलस बैक्टीरिया कमजोर पड़ने लगते हैं और ये अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो खाने को पचाने में बहुत फायदा करते हैं और आंतों में मौजूद बुरे बैक्टीरिया को खत्म करते हैं।
• फ्रिज में रखी हुयी चीजें तुरन्त खाने से जुकाम-खाँसी होने का खतरा रहता है जैसे-फल, दूध, दही।
•फ्रिज मे ज्यादा दिन तक रखी चीजें खाने से कैंसर होने की सम्भावना रहती है। और वहीं ताजी सब्जियाँ, ताजे फल, ताजा दूध, ताजा दही पोषक तत्वों से भरे होते हैं व उनका स्वाद भी बहुत अच्छा होता है, गाँव के लोग दोनों समय ताजा खाना खाते हैं, दोनों समय ताजा दूध पीते हैं व घड़े का पानी पीते हैं, घड़े के पानी से ठंडक भी मिलती है व प्यास भी बुझती है और फ्रिज के पानी की तरह कोई नुकसान नहीं होता बल्कि कई सारे फायदे होते हैं, घड़े के पानी से सर्दी, जुकाम, गला खराब नही होता है, इसी वजह से गाँव के लोग शहर के लोगों से बहुत कम बीमार पड़ते हैं और उनसे लम्बी उम्र जीते हैं क्योकि वो फ्रिज का इस्तेमाल नहीं करते हैं और इसी वजह से गाँव के लोग शहर के लोगों से ज्यादा ऊर्जावान, ताकतवर व जवान होते हैं, फ्रिज विदेशों के लिये ठीक है क्योंकि वहाँ रोज ताजे फल, ताजी सब्जियाँ नहीं मिल पाते