आजकल शहरों में सभी शादियों में या अन्य कार्यक्रमों में खड़े-खड़े खाना खिलाने का सिस्टम चलता है जिसे हम बफर सिस्टम कहते हैं खुद से खाना लीजिये और खाइये, वहीं गाँव में जमीन पर बिठाकर खाना खिलाया जाता है आपको खुद खाना नहीं परोसना पड़ता है गाँव वाले आपको आपकी थाली में खाना देते हैं, इसी वजह से शहर के लोग खुद को मॉर्डन समझते हैं और गाँव वालों को गंवार लेकिन मैं आपसे बतादूँ खड़े-खड़े खाना खाने के बहुत सारे नुकसान हैं।
• खड़े होकर खाना खाने से आंतें सिकुड़ जाती हैं और कब्ज की समस्या हो जाती है, सुबह पेट अच्छे से साफ नहीं होता है और मल टाइट होने की वजह से मल त्यागने में बहुत दिक्कत होती हैं और समय भी ज्यादा लगता है ऐसा लगातार हो तो मल के साथ खून भी आने लगता है और खड़े-खड़े खाना खाने से पेट दर्द व पेट में सूजन की समस्या हो जाती है।
• खड़े होकर खाना खाने से जठरअग्नि अच्छे से नहीं जल पाती है जिससे खाना अच्छे से नहीं पच पाता है और गैस, अपच, कब्ज, एसिडिटी और पेट से जुड़ी समस्यायें हो जाती हैं, खड़े-खड़े खाना खाने से दिमाग को पहले से पता नहीं लग पता है कि हम खाना खाने जा रहे हैं जिससे वो पेट को पाचन शुरू करने का आदेश नहीं दे पाता है जिससे पाचन अच्छा नहीं होता है और जब खाना पच नहीं पाता तो सड़ता है और ज्यादा खड़े होकर खाना खाते है तो मोटापा, कोलेस्ट्रॉल बढ़ना, डायबिटीज, दिल की बीमारियाँ, हाईब्लडप्रेशर, बवासीर, घुटनों में दर्द जैसी समस्यायें होने लगती हैं।
• खड़े होकर खाना खाने से एसोफोगस नली (जो गले से पेट तक भोजन व पानी पहुँचाती है) के निचले हिस्से पर बुरा प्रभाव पड़ता है ऐसे में अल्सर का खतरा बढ़ जाता है।
• खड़े होकर खाना खाने से किडनी के रोग व पथरी की समस्या बढ़ जाती है।
• खड़े होकर खाना खाने से पैरों और कमर पर भी जोर पड़ता हैं जिससे खड़े हो कनाड़ों के दर्द, घुटनों के दर्द, कमरदर्द जैसे रोग पैदा होते हैं।खड़े-खड़े खाना खाने से दिल पर के रोगों की संभावना बढ़ जाती है। अतिरिक्त भार पड़ता है जिससे दिल
• खड़े होकर खाना खाने में जूते-चप्पल पहने रहते हैं जिससे पैर गर्म रहते हैं और जतरअग्नि अच्छे से शुरू नहीं हो पाती है।
• खड़े होकर खाना खाने से मन अशांत हो जाता है।जहाँ खड़े होकर खाना खाने के इतने सारे नुकसान हैं जमीन पर बैठकर खाना खाने के कई सारे फायदे हैं-
• जमीन पर बैठकर खाना खाने से जठरअग्नि अच्छे से काम करती है जिससे खाने का पाचन अच्छे से होता है और पेट सम्बन्धित बीमारियाँ नहीं होती हैं।
• जमीन पर बैठकर खाना खाने में पैर मोड़कर बैठते हैं, खाने को लेने के लिये आगे थाली की तरफ झुकते हैं फिर सीधे होकर खाना खाते हैं, इससे पेट की मांसपेशियाँ लगातार कार्यरत रहती हैं जिससे पेट में मौजूद मांसपेशियों को पाचक रस निकालने में मदद होती है और पाचन अच्छे से होता है।
• जमीन पर बैठकर खाना खाने से दिमाग को सिग्नल मिल जाता है जिससे वह पेट को पहले ही पाचन शुरू करने के लिये कह देता है और पेट पाचकरस और एन्जाइम्स निकालना शुरू कर देता है जिससे पाचन अच्छा होता है।
• जमीन पर बैठकर खाना-खाने से बहुत आनन्द व संतुष्टि मिलती है जबकि खड़े-खड़े खाना खाने से वो आनन्द व संतुष्टि नहीं मिलती है। बैठकर खाना खाने से मानसिक तनाव दूर होता है।
• जमीन पर बैठकर खाना खाने में जूते चप्पल उतारकर, हाथ पैर धोकर खाना खाते हैं जिससे पैर ठण्डे रहते हैं और जठरअग्नि अच्छे से जलती है और खाना अच्छे से पचता है।
• जमीन पर बैठकर खाना खाने से खाना बरबाद नहीं होता है क्योंकि इसमें आप उतना ही लेते हैं जितनी भूख होती है जबकि खड़े-खड़े खाना खाने में खाना काफी बरबाद होता है क्योंकि उसमें हमें खाना खुद लेना होता है और बार-बार जाकर खाना लेने से बचने के लिये हम ज्यादा खाना ले लेते हैं जिससे वो बरबाद होता है।
• जमीन पर बैठकर खाना खाने से दिल पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ता क्योंकि जमीन पर बैठकर खाना खाने से खून का संचार अच्छा होता है।
• जमीन पर बिठाकर खाना खिलाने से आपसी प्रेमभाव, स्नेह बढ़ता है जबकि खड़े-खड़े खाना खिलाने के सिस्टम में कोई प्रेमभाव नहीं बढ़ता है और वैसे भी खड़े होकर जानवर खाना खाते हैं इंसान नहीं।
•जमीन पर बैठकर खाना खाने से घुटने, कूल्हे के जोड़ लचीले बने रहते हैं जिससे जोड़ जल्दी खराब नहीं होते हैं।
• जमीन पर बैठकर खाना खाने से घुटने कमजोर नहीं मजबूत होते हैं।