चंदौली। स्कूलों में बेहतर शिक्षा व्यवस्था को लेकर दावे तो खूब किये जा रहे हैं। किंतु जमीनी सच्चाई इसके ठीक उलट है। धानापुर विकास खंड के बेसिक शिक्षा परिषद से संचालित अमर शहीद हीरा सिंहपूर्व माध्यमिक विद्यालय हिंगुतरगढ़ में तो एमडीएम और ड्रेस आदि के मद में मिलने वाले सरकारी धन को ही हड़पने के चक्कर में स्कूल प्रबंधन ने 121 फर्जी विद्यार्थियों के नाम रजिस्टर में अंकित कर दिए है।

भ्रष्टाचार कर सरकारी धन के बंदरबांट का यह खेल बीते कई वर्षोंसे चल रहा है। बावजूद इसके अभी तक शिक्षा विभाग के अफसरों की अनभिज्ञता समझ से परे है। अभिलेखों पर नजर डालें तो उक्त विद्यालय में कुल 121 पंजीकृत विद्यार्थी हैं। जिनमें 77 बालक और 34 बालिकाएं शामिल हैं। दिसम्बर 2006 में बेसिक शिक्षा परिषद से वित्तीय अनुदान मिलने के बाद से यहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को सभी तरह की सरकारी सहूलियतें दिए जाने का प्राविधान है।यही वह कारण है, जिसके चलते स्कूल प्रबंधन फर्जी नामों को दर्ज कर वर्षों से एम डी एम तथा ड्रेस आदि के मद में मिलने वाली धनराशि को हड़पने में जुटा हुआ है। जबकि सच यह है कि 31 मार्च 2020 को यहां के प्रधानाध्यापक सूबेदार मिश्र और शिक्षिका आशासिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद से इस विद्यालय में एक भी छात्र नहीं पढ़ रहा है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जब स्कूल में कोई शिक्षक ही नहीं है तो फिर यहां बच्चों का पंजीकरण किसके आदेश पर और क्यों किया गया।
आखिर बीईओ की जांच में क्यों नहीं दिखाई देती कोई खामी?
चंदौली। धानापुर के खंड शिक्षा अधिकारी अवधेश नारायण सिंह ने बीते माह 12 सितंबर को इस विद्यालय का निरीक्षण किया। किंतु उन्हें यहां कोई खामी नजर नहीं आई। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि जब स्कूल में कोई शिक्षक नहीं हैं। बच्चे भी नदारत हैं। तो नियमित रूप से मिड डे मील किसके लिए बनता है। इस फर्जीवाड़े को बीईओ तथा अन्य शिक्षा अधिकारियों की आंखे क्यों नहीं देख पा रही हैं।
सरकारी धन हड़पने के लिए विद्यार्थियों का फर्जी नामांकन बेहद गंभीर मामला है। इसकी तत्काल जांच कराई जाएगी। और जो दोषी पाए जाएंगे, उनपर कठोर विभागीय कार्यवाई की जाएगी। जाएगी।
उमेश कुमार शुक्ला, एडी बेसिक वाराणसी।